पक्षाघात: उपचार, कारण और लक्षण
लकवा/पक्षाघात
लकवे को सामान्य भाषा में पक्षाघात या फालिज के नाम से जाना जाता है। मांसपेशियों की गति का रूक जाना तथा शरीर के अन्य भागों से सम्पर्क टूट जाना लकवा कहलाता है। जिन भागों को लकवा मारता है जैसे हाथ, पैर, चेहरा आदि तो उनकी मांसपेशियों की गति रूक जाती है।
कारण
- तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) में गड़बड़ी के कारण।
- मस्तिष्क में ट्यूमर के कारण।
- फ्रिज की चीजें या चिल्ड पानी लगातार पीने से।
- सिर में चोट या एक्सीडैन्ट के कारण।
पेट में अधिक गैस बनने, मस्तिष्क पर वायु का दबाव पड़ने और हृदय पर वायु का दबाव बढ़ने से शरीर पर वायु का झटका लगता है। इसी के परिणाम स्वरूप व्यक्ति लकवे का शिकार हो जाता है
लक्षण
- लकवा/पक्षाघात होने पर रोगी का आधा शरीर संवेदनहीन हो जाता है।
- स्नायु शिथिल हो जाते हैं या शरीर का आधा भाग टेढ़ा हो जाता है।
- उस भाग में सुन्नता रहती है तथा छूने पर कोई संवेदना नहीं होती।
- दिमाग भी काम करना कम कर देता है।
- प्रभावित अंग में गर्मी व ठंडक और दर्द का एहसास नहीं हो पाता है।
- प्रभावित अंग में झनझनाहट हो सकती है।
उपचार
Rhus. Tox.-30, 15-15 मिनट पर 3 बार दो-दो बूंद जीभ पर दें। कम से कम 1 महीने तक सुबह-दोपहर-शाम ।
Causticum-1M, दूसरे दिन 2-2 बूँद आधे घण्टे या पौने घण्टे के अन्तर पर तीन बार दें। हफ्ते में एक दिन देनी चाहिए। दो-तीन महीने में पूरी तरह ठीक हो सकता है। हमेशा शाकाहारी भोजन दें। चाय-कॉफी कभी मत दें।
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