मिरगी एक मानसिक रोग है। इसमें रोगी की याद्दाश्त कुछ समय के लिए खत्म हो जाती है। मन चंचल हो जाता है और मन के भ्रम में होने से लाल, पीला, हरा आदि रंग दिखाई देते हैं। रोगी अचानक बेहोश हो जाता है।
कारण
अनुवांशिक कारणों से या हस्तमैथुन से।
किसी संक्रामक रोग के कारण।
सिर पर चोट लगने के कारण।
अधिक शराब पीने के कारण।
अजीर्ण व अत्यधिक कमजोरी से।
शारीरिक अथवा मानसिक अवसन्नता के कारण।
दूसरी बार दाँत निकलने के कारण।
लक्षण
रोगी हाथ-पैर को इधर-उधर पटकता है।
मुँह से झाग आने लगता है या रोगी दांत किटकिटाता है।
लड़खड़ाते हुये, एकदम से गिर जाता है।
हाथ पैर अकड़ जाते हैं और जबड़ा भिंच जाता है।
दौरे के समय आँखें चौड़ी या खुली रह जाती हैं। जो देखने में डरावनी लगती हैं।
उपचार
दौरा पडने पर रोगी को दांयी करवट लिटायें ताकि उसके मुँह से सभी झाग आसानी से निकल जाये। दौरा पड़ने के समय रोगी को कुछ भी न खिलायें बल्कि दौरे के समय अमोनिया या चूने की गंध सुंघानी चाहिये इससे उसकी बेहोशी दूर हो सकती है।
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